माघ मास की खिचड़ी का ये है महत्व…बिशंग में हुआ खिचड़ी सह भोज

डुंगरी फर्त्याल के प्राचीन शिव मंदिर में आयोजित सह भोज में सैकड़ों लोगों ने लिया माघ की खिचड़ी का स्वाद
देवभूमि टुडे
चंपावत/लोहाघाट। लोहाघाट क्षेत्र के बिशंग के डुंगरी फर्त्याल के प्राचीन शिव मंदिर में आयोजित माघ मास की खिचड़ी सह भोज में सैकड़ों लोग शामिल हुए। इस दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई। ये आयोजन क्षेत्र के ग्रामीण और नौकरीपेशा युवाओं ने आपसी सहयोग से किया।
पुजारी हरीश चंद्र मुरारी ने सबसे पहले भगवान शिव को खिचड़ी का भोग लगाया। माघ मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। खिचड़ी का भंडारा कराने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। समिति के अध्यक्ष गोविंद सिंह ने आयोजन में सहयोग करने वाले सभी लोगों का आभार जताया। इस दौरान रोहन सिंह बिष्ट, राजू फर्त्याल, नवीन फर्त्याल, रोहित फर्त्याल, अभय सिंह, रोहित मुरारी, पीयूष मुरारी, महेश जोशी, इंद्र ढेक, सुशील ढेक आदि मौजूद थे।
ये है माघ मास की खिचड़ी का महत्व:
माघ मास की खिचड़ी का महत्व है क्योंकि यह शुद्धिकरण और सफाई का प्रतीक है। माघ मास में खिचड़ी खाने से शरीर और मन शुद्ध होता है और पूरे साल सौभाग्य और समृद्धि आती है। खिचड़ी को सूर्य और शनि ग्रह से जुड़ा माना जाता है। खिचड़ी को सर्दी में शरीर को गर्मी और ऊर्जा देने वाला भोजन माना जाता है। खिचड़ी के साथ तिल-गुड़ का सेवन किया जाता है। भगवान शिव और कालभैरव को चढ़ावे में अर्पित की जाने वाली इस खिचड़ी का दान करना शुभ माना जाता है।

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