सत्ता का साथ या सत्ता का विरोध नहीं, सच के साथ होना है पत्रकारिता का धर्म

खबरों की आपाधापी में फैक्ट के बजाय फेक न्यूज है फिक्रमंद
58वें राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर चेंजिंग नेचर ऑफ प्रेस विषय पर चंपावत में गोष्ठी
देवभूमि टुडे
चंपावत। पत्रकारिता बदल रही है, पत्रकारिता के रंग-ढंग में बदलाव तो हो रहा है, लेकिन इन बदलावों में से बेहतर क्या और कितना हो रहा है? इस पर संजीदगी से विचार करना होगा। क्या पत्रकारिता लोगों के लिए लोगों के बीच जाकर हो रही है, या ताकतवरों के प्रभाव में हो रही है? सत्ता के साथ होना या सत्ता के विरोध में होना, पत्रकारिता का न कर्म है न धर्म, लेकिन मौजूद दौर में कमोबेश हो ऐसा ही रहा है। इससे बचना होगा। ब्रेक्रिंग न्यूज के नाम पर अधकचरी और अपुष्ट खबरों को चलाने की प्रवृत्ति और जल्दी की आपाधापी में फैक्ट के बजाय फेक न्यूज को परोसना पत्रकारिता धर्म के साथ ही समाज के प्रति भी नाइंसाफी है। ये तमाम सवाल 58वें राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर changing nature of press विषय पर चंपावत में आयोजित गोष्ठी में उठे।
वरिष्ठ पत्रकार गणेश दत्त पांडेय की अध्यक्षता और सूचना विभाग के वरिष्ठ सहायक पंकज कुमार व सतीश जोशी सत्तू के संचालन में हुई गोष्ठी में मीडिया कर्मियों को आत्ममुग्धता के बजाय आत्ममंथन करने की भी नसीहत दी गई। सत्ता के बजाय सच के सरोकारों से जुडऩे, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बाद अब डिजिटल मीडिया से प्रिंट मीडिया को मिल रही चुनौतियों पर भी चर्चा हुई। पत्रकारिता दागदार न हो, इसके लिए आत्म नियामक संस्था बनाने की भी बात सामने आई। गोष्ठी में पीटीआई के जिला प्रभारी दिनेश चंद्र पांडेय, चंपावत जिला पंत्रकार एसोसिएशन के अध्यक्ष चंद्रबल्लभ ओली, जागरण के प्रभारी गणेश पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार विनोद चतुर्वेदी, मानेश्वर टाइम्स की संपादक जया पुनेठा, ललित मोहन जोशी, गिरीश बिष्ट, लक्ष्मण सिंह बिष्ट, सुरेश चंद्र उप्रेती, राजीव मुरारी, नवीन देउपा, विनोद पाल, शुभम गौड़, सुरेश पंत सूरी, राहुल महर, जीवन बिष्ट, विपिन जोशी, पुष्कर सिंह बोहरा, जगदीश जोशी, सचिन कुमार, सूचना विभाग के रजत सिंह रावत, सुरेश चंद्र पांडेय, गौरव जोशी, कमल माहरा आदि मौजूद थे।

error: Content is protected !!