कारी गांव की 53 साल की नारायणी देवी की मौत
शव ले जाने के लिए निशुल्क वाहन भी नहीं मिला
देवभूमि टुडे
चंपावत। नेपाल सीमा से लगे जिले को भले ही उत्तराखंड के पहले मॉडल डिस्ट्रिक्ट के रूप में बनाने की कवायद हो रही है, लेकिन विभागीय अक्षमता से चंपावत जिला स्वास्थ्य सुविधा नहीं दे पाने में रॉल मॉडल बन रहा है। नेपाल सीमा से लगा चंपावत से 47 किलोमीटर दूर कारी गांव की एक महिला को अस्पताल लाने के लिए न तो आपात सेवा 108 की एंबुलेंस मिल सकी और नहीं तल्लादेश के मंच अस्पताल में जिंदगी बचाने लायक इलाज मिल सका। मंच से चंपावत जिला अस्पताल लाने के चंद घंटों बाद 13 नवंबर को अस्पताल में ही महिला की मौत हो गई।
क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता चंचल सिंह के मुताबिक नेपाल सीमा से लगे तल्लादेश के कारी गांव की नारायणी देवी (53) को पिछले कुछ दिनों से बुखार था। बाद में बुखार के साथ ही सिरदर्द और हालत बिगडऩे पर 12 नवंबर की रात को महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए आपात सेवा 108 की एंबुलेंस को फोन किया गया, लेकिन मंच की एंबुलेंस के खराब होने और चंपावत की दोनों एंबुलेंस के मरीज को ले जाने की वजह से एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हो सकी। चंचल सिंह का कहना है कि आननफानन में गांव के एक वाहन से नारायणी देवी को पहले मंच अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन वहां डॉक्टर के नहीं होने से नर्स नीलम नेगी ने प्राथमिक उपचार किया और फिर वहां से महिला को चंपावत जिला अस्पताल ले जाया गया। बीमार के पति ईश्वर सिंह ने बताया कि 12 नवंबर की रात जिला अस्पताल पहुंची नारायणी देवी को बचाया नहीं जा सका और 13 नवंबर की सुबह मौत हो गई।
बीमार सेहत के सवाल अनेक लेकिन जवाब मौन…
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्वाचन क्षेत्र वाले चंपावत जिले की स्वास्थ्य सेवा को पटरी पर लाने का जिम्मोदारी निभाने वाले विभाग के मुखिया का कहना है कि वो किस-किस को जवाब देंगे? तो जाहिर है कि उनसे तो सवालों के जवाब मिलने से रहे। लेकिन मॉडल डिस्ट्रिक्ट की सेहत को लेकर सवाल तो किए ही जाएंगे।
1.तल्लादेश के लिए आपात सेवा 108 की एंबुलेंस कब काम करेगी। यह सेवा 6 नवंबर से खराब है। और 12 नवंबर को कारी गांव की नारायणी देवी को एंबुलेंस नहीं मिलने पर कार से अस्पताल तक ले जाना पड़ा। जाहिर है कि कार में किसी तरह की प्राथमिक इलाज की मदद नहीं मिलने से वक्त बर्बाद हुआ।
2.मंच के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं मिले। बताया गया कि डॉक्टर छुट्टी में हैं। डॉक्टर के अवकाश में होने पर कोई वैकल्पिक उपाय क्यों नहीं किया गया। मंच की नर्स नीलम शर्मा का कहना था कि महिला को तेज पेट दर्द था। प्राथमिक इलाज के बाद चंपावत जिला अस्पताल भेज दिया गया था। जहां बीमार महिला की 13 नवंबर की सुबह उनकी मौत हो गई।
3.सरकारी अस्पतालों में मरीज की मौत होने पर शव ले जाने के लिए निशुल्क वाहन उपलब्ध कराने का शासन ने इस साल 21 अगस्त को आदेश जारी किया था, लेकिन मॉडल डिस्ट्रिक्ट में नारायणी देवी को ये सुविधा नहीं मिली। कम से कम परिजनों का तो ऐसा ही आरोप है।
जिले में हैं आपात सेवा 108 की 10 एंबुलेंस…लेकिन मंच की एंबुलेंस खराब
आपात सेवा 108 एंबुलेंस सेवा के जिला प्रभारी कमल शर्मा का कहना है कि चंपावत जिले की 10 में से 9 एंबुलेंस काम कर रही हैं। मंच की एक एंबुलेंस में 6 नवंबर से तकनीकी खराबी है। इसे ठीक करने के लिए भेजा गया है, 15 नवंबर तक ये एंबुलेंस ठीक हो जाएगी। जरूरत पड़ने पर मंच में चंपावत से एंबुलेंस भेजी जा रही थी, लेकिन चंपावत की दोनों एंबुलेंस आईएफटी के लिए हल्द्वानी जा रही थी। लोहाघाट से एंबुलेंस भेजने के लिए कहा गया था, लेकिन बीमार महिला की तीमारदार ने मना कर दिया।
दो मौतों से सदमें में कारी…पहली बार नहीं हो सका कार्तिक पूर्णिमासी चतुर्दशी का मेला
चंपावत। कारी गांव में दो दिन में हुई दो मौतों से कार्तिक पूर्णिमासी चतुर्दशी (14 नवंबर) को होने वाला मेला पहली बार नहीं हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि दशकों से चल रहे इस मेले को शोक और अशुद्धि की वजह से रद्द कर दिया। नारायणी देवी की अस्पताल में हुई मौत के दिन ही कारी गांव में एक बुजुर्ग जोगा सिंह (70) की भी घर में ही मौत हो गई थी। जोगा सिंह का 14 नवंबर को अंतिम संस्कार किया गया। जोगा सिंह का अंतिम संस्कार बेटे के आने से पहले ही करना पड़ा। उनका बेटा भवान सिंह केरल में होटल में काम करता है। यहां पहुंचने में देरी की वजह से जोगा सिंह के भतीजे विनोद ने चिता को मुखाग्रि दी। गांव में दो दिन में दो मौतों से मातम पसरा हुआ है। बता दें कि इसी कारी गांव में एक अक्टूबर को एक टिप्पर दुर्घटना में दो मजदूरों की भी मौत हो चुकी है।