अच्छे अफसर, सच्चे इंसान…बेदाग काम, सूझबूझ भरे नेतृत्व ने बनाया DFO कांडपाल का कायल

3 दशक से लंबी सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए प्रभागीय वनाधिकारी रमेश चंद्र कांडपाल, आत्मीयता और अपनेपन से ओतप्रोत ऐसी विदाई चंपावत डिवीजन में आज तक किसी को नसीब नहीं

देवभूमि टुडे

चंपावत। चंपावत के प्रभागीय वनाधिकारी रमेश चंद्र कांडपाल अच्छे अफसर और उससे सच्चे इंसान थे। बेदाग काम, सूझबूझ भरे नेतृत्व से उन्होंने वन प्रबंधन व वन प्रशासन पर अमिट छाप छोड़ी। वे डिवीजन के विभागीय अधिकारी-कर्मियों के लिए गुरु, पथ प्रदर्शक थे। वनाधिकारी के रूप में 3 दशक से अधिक लंबी सेवा के बाद 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हुए प्रभागीय वनाधिकारी रमेश चंद्र कांडपाल की विदाई बेला पर तमाम वक्ताओं ने ये उदगार व्यक्त किए। सेवानिवृत्ति पर जो मान-सम्मान अधिकारी-कर्मियों ने उन्हें दिया, ऐसी आत्मीयता भरी और अपनेपन से ओतप्रोत विदाई चंपावत डिवीजन में आज तक किसी को नसीब नहीं हुई। लोग भावुक भी थे और आंखें भी नम थी। विशिष्ट कार्यशैली के लिए खास पहचान बनाने वाले कांडपाल को लेकर वन अधिकारियों व कर्मियों में जो आदर व अपनेपन का भाव था, वो मौजूदा व्यवस्था में हासिल होना नामुमकिन जैसा है।
डीएम नवनीत पांडे की अध्यक्षता और हर्षवर्धन गढ़िया के संचालन में हुए समारोह में अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ से भी वनकर्मी विदाई में शामिल हुए थे। डीएम, एसपी और डीएफओ ने मॉडल जिले चंपावत में आपसी तालमेल से विकास को रफ्तार दी। प्रभागीय वनाधिकारी कांडपाल ने कहा कि वन विभाग का काम जितना चुनौतीपूर्ण है, उतना ही रोमांच से भरा हुआ भी है। उन्हें इस बात पर संतोष है कि जो काम उनके कार्यकाल में हुए उन्हें देखने के लिए लोग बाहर से आ रहे हैं। वन विभाग ने सीधे जनता से जुड़कर उन्हीं की भावनाओं के अनुसार उन्हीं के लिए योजनाएं बनाईं, जो उन्हें रोजगार दे रही हैं। उन्होंने वन कर्मियों के अलावा डीएम व एसपी द्वारा दिए गए सहयोग के प्रति आभार जताया।
DM नवनीत पांडे ने कहा कि डीएफओ कांडपाल ने कार्य की प्रतिबद्धता व विशिष्ट कार्य शैली से उच्चधिकारियों एवं अपने अधीनस्थ कर्मियों का ही सहयोग प्राप्त नहीं किया, बल्कि आम लोगों के बीच भी साख बनाई। यही उनकी सफलता का राज भी था। SP अजय गणपति का कहना था कि डीएफओ कांडपाल में सहयोग और समन्वय से कार्य करने की कमाल की खूबी थीं। जिला सूचना अधिकारी गिरिजा शंकर जोशी ने कहा कि ऐसे समारोह कम देखने को मिलते हैं, जिसमें लोगों की आंखें भर आती हों और ये स्नेह व प्यार ही डीएफओ कांडपाल की असल कमाई है। वरिष्ठ कोषाधिकारी सीमा बंगवाल विधायक प्रतिनिधि प्रकाश तिवारी, वरिष्ठ भाजपा नेता एडवोकेट शंकर दत्त पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार गणेश दत्त पांडेय ने भी उनकी खूबियों को गिनाया। जन कवि प्रकाश जोशी शूल ने काम के प्रति उनके जज्बे, सहयोगी नजरिए व मानवीय दृष्टिकोण को कविता के माध्यम से पेश किया। वन क्षेत्राधिकारी गुलजार हुसैन, कैलाश गुणवंत, राजेश जोशी आदि ने विचार रखे।

उप प्रभागीय वनाधिकारी नेहा सौन, रेवाधर जोशी, शंकर सामंत, आशुतोष जोशी, रवि कुमार, आनंद गिरी, बीएस रावत, पूनम पंत ने भी डीएफओ से मिली सीख को याद किया। रेंजर दिनेश जोशी, दीप जोशी, हिमालय सिंह टोलिया, बृजमोहन टम्टा आदि मौजूद थे। डीएम, वनकर्मियों, विभिन्न जन प्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों सहित तमाम लोगों ने उन्हें बुक तथा बुके देकर सम्मानित किया। डीएफओ कांडपाल की मां हेमा कांडपाल, धर्मपत्नी भावना कांडपाल, महाराष्ट्र से आए उनके छोटे भाई बीसी कांडपाल एवं अन्य परिजन भी इस विदाई बेला के गवाह बने।

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