लड़ीधुरा महोत्सव…काकड़ व बाराकोट से दुर्गम राह पार कर मंदिर पहुंचे देवी रथ

जयकारों से भक्तिमय हुआ वातावरण, बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने किए मां भगवती व कालिका के दर्शन
देवभूमि टुडे
चंपावत/बाराकोट। बाराकोट के लड़ीधुरा मंदिर में 17 अक्टूबर को काकड़ और बाराकोट से देवी रथों को दुर्गम रास्तों को पार कर लड़ीधुरा मंदिर लाया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां के गगनभेदी जयकारे से वातावरण भक्तिमय बन गया। रथ के आगे और पीछे चल रहीं महिलाओं ने मंगल गीत गाए और रथों पर पुष्प वर्षा की।
बृहस्पतिवार को सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया। मंदिर के पुजारी और पुरोहितों ने पूजा-अर्चना कराई। पहला रथ दोपहर 2:40 बजे काकड़ से दुर्गम रास्तों से रस्सों के सहारे लड़ीधुरा मंदिर लाया गया। रथ में कालिका के रूप में कल्याण सिंह अधिकारी विराजमान थे। 3:25 बजे बाराकोट का देवी रथ मंदिर पहुंचा। रथ में भगवती के रूप में गुड्डी फर्त्याल एवं कालिका के रूप में प्रताप सिंह विराजमान थे। रथों के मंदिर में पहुंचते ही लड़ीधुरा की चोटी मां के जयकारों से गूंज उठी। मंदिर परिसर में महिलाओं ने झोड़े झुमटों का गायन किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां भगवती व मां काली के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। लड़ीधुरा शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष नगेंद्र जोशी, लोकमान अधिकारी, विनोद अधिकारी, दुर्गेश जोशी, जगदीश अधिकारी, नवीन जोशी, राजेश अधिकारी, राजेंद्र सिंह अधिकारी, महेंद्र अधिकारी, किशोर जोशी, रमेश जोशी, नंदाबल्लभ बगौली, रजत वर्मा, मनोज वर्मा, शुभम गोस्वामी, योगेश जोशी, सौरभ गोस्वामी, निहारिका फर्त्याल, प्रदीप ढेक, जगदीश अधिकारी, बसंत लाल वर्मा आदि ने महोत्सव के संचालन में सहयोगी रहे लोगों का आभार जताया।
लकी ड्रा में महक ने जीती स्कूटी:
लड़ीधुरा महोत्सव के लकी ड्रा का प्रथम पुरस्कार स्कूटी महक थापा के नाम खुला। द्वितीय पुरस्कार चक्की नानू ढेक, तृतीय पुरस्कार फ्रीज, तनुजा वर्मा, चतुर्थ पुरस्कार टेलीविजन भुवन उप्रेती, पंचम पुरस्कार मोबाइल मनीषा मेहरा, छठा पुरस्कार सिलाई मशीन, नीतू गिरी, सातवां पुरस्कार मिक्सर ग्राइंडर आदित्य राय एवं नम्रता अधिकारी, आठवां पुरस्कार मथानी धीरज फर्त्याल व दीपा जोशी, नौंवा पुरस्कार इलेक्ट्रिक कैटल दीनू बोहरा, विभू, अमरनाथ सिंह चौधरी, कमल वर्मा, संदीप जोशी और दसवां पुरस्कार हॉटकेस जगदीश राना, महेंद्र सिंह अधिकारी, सक्षम अधिकारी, सार्थक, इंदर आर्या के नाम रही।

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