घटकू महोत्सव…देव स्नान के साथ हुआ श्रीगणेश

हर रोज होगा पूजन, अष्टमी से एकादशी को होंगे विविध कार्यक्रम, 13 अक्टूबर को भंडारे के साथ होगा समापन
देवभूमि टुडे
चंपावत। प्रथम नवरात्र के अवसर पर घटकू (घटोत्कच) मंदिर में अष्टमी से एकादशी को होने वाले श्री घटोत्कच महोत्सव का पारंपरिक रूप से श्रीगणेश हो गया है। देवडांगरों की अनुमति और परंपराओं के अनुसार श्रद्धालुओं ने घटकू मंदिर में देव स्नान कराया गया। मल्लाडश्ेवर मंदिर से पूर्ण शुद्धता के साथ सरोवर मंदिर में स्नान के बाद जल लाकर देव स्नान करवाया गया। विकास पुजारी, सुदीप बोरा, किशन सिंह पुजारी ,हरीश पांडे, मोहित पुजारी, हेमंत जोशी, राकेश सिंह बोरा, कमलनाथ आदि सरोवर से पवित्र जल लाए। मंदिर के संत उत्तरायण गिरी एवं पुजारी रुद्र सिंह पुजारी ने मंदिर में पूजा-अर्चना कराई। ये पूजन हर दिन होगा।
इस मौके पर घटकू महोत्सव समिति के संरक्षक डॉ. बीसी जोशी, अध्यक्ष मनमोहन बोहरा, सचिव इंदुवर जोशी, उपाध्यक्ष पूरन सिंह बोरा, शंकर सिंह बोरा, कोषाध्यक्ष नीरज जोशी, राकेश सिंह बोहरा, नीरज पुजारी, मदन सिंह सौन, गौरव जोशी, कपिल सिंह महर, ललित मोहन जोशी, मनोज जोशी, देव सिंह पुजारी, रवि महर सहित तमाम भक्तगण थे। चौकी गांव स्थित श्री घटकू मंदिर में होने वाले महोत्सव के कार्यक्रम अष्टमी से दशमी (10 अक्टूबर से 12 अक्टूबर) तक होंगे। एकादशी यानी 13 अक्टूबर को मैराथन दौड़, भंडारा और शाम के समय लकी ड्रॉ खोला जाएगा। इस अवधि में दिनभर स्कूली बच्चों की प्रतियोगिताएं होंगी।
मौसम से भी जुड़ा है घटकू मंदिर…बारिश कराने या रोकने के लिए भी होता है पूजन
मंदिर के कुंड के सात घड़ों से भरने की दशा में होती है बारिश
देवभूमि टुडे
चंपावत से चार किलोमीटर दूर घटकू (घटोत्कच) मंदिर में इन दिनों महोत्सव की धूम है। घटकू के इस मंदिर का संबंध महाभारतकालीन है। कहा जाता है कि घटकू का मंदिर मौसम की खूबी से जाना जाता है। बारिश कराने और बारिश रोकने के लिए यहां पूजन होता है। मंदिर में बने जल कुंड (जल संग्रह करने के लिए बना स्थान) में सात घड़े जल डालने से बारिश होती है।
बताते हैं कि इस कुंड से बारिश होने या न होने के बारे में जानकारी मिलती है। तीन दिन तक पूर्ण शुद्धता का पालन करने वाले सात व्यक्ति चौथे दिन सुबह त्यारकूड़ा में स्थित धमज़्शिला से सात घड़ा पानी इसमें लाते हैं। यदि इन घरों से यह कुंड पूरा भर जाता है, तो बारिश हो जाती है। लोगों ने इस दृष्टांत को कई बार खुद भी अनुभव किया है। कई बार तो बादल गरजे बगैर भी बारिश होने की बात सामने आई है।
अगर सात घड़ों से कुंड न भरा, तो बारिश नहीं होगी। साथ ही फिर यह कुंड कितना ही पानी क्यों न डाल दिया जाए, नहीं भता। बारिश रोकने के लिए भी इसी घटकू मंदिर में पूजा-अचज़्ना की जाती है। पेयजल संकट से कराह रहे लोग और बारिश न होने से आलू की फसल बर्बाद होने के अंदेश से परेशान किसान भी कई बार घटकू की शरण में जाते रहे हैं।
भीम पुत्र घटोत्कच का इसी जगह हुआ था वध
घटकू मंदिर का संबंध महाबली भीम के पुत्र घटोत्कच से माना जाता है। कहा जाता है कि घटोत्कच महाबली भीम और राक्षसी हिडंबा का पुत्र था। शिवजी के गण घटोत्कच का महाभारत युद्ध में धुरंधर धनुर्धारी कर्ण ने वध किया था। कहते हैं कि चंपावत के चौकी गांव के पास घटोत्कच का सिर गिरा था, इसलिए उसी स्थान पर घटकू का मंदिर स्थापित किया गया है। इस मंदिर में 33 करोड़ देवी-देवता वास करते हैं। हर घर का ईष्ट भी यहां पूजा जाता है।

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