पाटन पाटनी और रायकोट महर से निकली मां भगवती, मां महाकाली की रथ यात्राएं
दुर्गम चढाई पार कर श्रद्धालुओं ने देव रथों को कराई मंदिर की परिक्रमा
देवभूमि टुडे
चंपावत/लोहाघाट। मां झुमाधुरी नंदाष्टमी महोत्सव में पाटन पाटनी और रायकोट महर गांवों से सुहावने मौसम के बीच मां भगवती और मां महाकाली की डोला रथ यात्राएं में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां का आशीर्वाद प्राप्त किया। 11 सितंबर सुबह पाटन पाटनी और राइकोट महर गांवों के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई। दोपहर बाद लोगों का रुख झुमाधुरी मंदिर को था। करीब सात हजार फीट की चढ़ाई पार करता हुआ पाटन पाटनी से मां भगवती का पहला डोला झूमाधुरी मंदिर पहुंंचा। डोले में मां भगवती के डांगर के रूप में अवतरित उमेश चंद्र पाटनी और धन सिंह पाटनी श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दे रहे थे। खाल तोक में पूजा-अर्चना के बाद सीधी खड़ी चढ़ाई में श्रद्धालुओं ने रस्सों के सहारे डोला रथ यात्रा को मंदिर की परिक्रमा कराई। दुर्गम खड़ी चढाई पार करते हुए रायकोट महर गांव से भी मां भगवती और मां महाकाली की रथ यात्रा झुमाधुरी मंदिर पहुंची। पसीने से लतपथ श्रद्धालु मां के जयकारे करते हुए रस्सों को खींच रहे थे। रथ में सवार भगवती के डांगर दान सिंह और मां महाकाली की डांगर राधिका देवी ने भक्तों को चंवर झुलाकर आशीर्वाद दिया। दोनों रथों के पीछे महिलाएं मंगलगान गाते हुए चल रही थीं। मेला समिति के अध्यक्ष मोहन पाटनी, प्रधान प्रतिनिधि प्रकाश सिंह बोहरा आदि ने सभी का आभार जताया।
रात्रि जागरण के साथ झूमाधुरी मंदिर में हुए भजन-कीर्तन
चंपावत/लोहाघाट। मंगलवार की रात को पाटन पाटनी और राईकोट महर गांव में रात्रि जागरण हुआ। इस दौरान लोक देवताओं ने अवतरित होकर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। उन्होंने श्रद्धालुओं के कष्टों का निवारण कर किया। वहीं मां झुमाधुरी मंदिर में महिलाओं ने जागरण किया। मान्यता है कि झुमाधुरी मंदिर में सच्चे मन से मां की आराधना करने वाली नि:संतान महिलाओं की गोद भर जाती है। महिलाओं ने हाथों में दीपक लेकर पूजा-अर्चना की। झुमाधुरी मंदिर में आयोजित हुए जागरण में विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में मां झूमा के भक्त पहुंचे हुए थे।