ताम्र पेटिका में विराजमान हुईं मां वज्र वाराही, मां काली और मां सरस्वती की मूर्तियां
देवभूमि टुडे
चंपावत/देवीधुरा। मां वाराही धाम देवीधुरा में बगवाल के दूसरे दिन मां बज्र वाराही की शोभायात्रा निकाली गई। परांपरानुसार बगवाल के 1 दिन बाद 20 अगस्त को पीठाचार्य कीर्ति बल्लब जोशी, पुरोहित गिरिजा प्रसाद जोशी ने मां वाराही देवी की विशेष पूजा-अर्चना कराई। इसके बाद जमन सिंह बागड़ और पूरन सिंह बागड़ ने पूजा-अर्चना के बाद आखों में काली पट्टी बांध कर ताम्र पेटिका में विराजमान मां बज्र वाराही, मां सरस्वती, और मां काली की मूर्ति को स्नान कराया।
चारों खामों के मुखियाओं की मौजूदगी में बैरख गांव के हर सिंह मेहरा को मूर्तियां सौंपी गईं। मंदिर से मां वाराही के नंदग्रह से बज्र वाराही की शोभायात्रा मुचकंद ऋषि के आश्रम तक निकली। मुचकंद ऋषि के आश्रम की परिक्रमा करने के बाद हर सिंह मेहरा की गोद में माता की मूर्ति को विराजमान किया गया। माता की मूर्ति पर भक्तों ने शीश झुका आशीर्वाद लिया। मुचकंद ऋषि आश्रम से वापस आने के बाद खोलीखाड़ दुबचौड़ मैदान में शिलिग चोबाड़ी से माता की मूर्ति पान सिंह बिष्ट को सौंप दी गई। जो मूर्ति को नंदग्रह तक लाने के बाद मां वज्र वाराही, मां काली और मां सरस्वती की मूर्ति को ताम्र पेटिका में विराजमान किया गया।
मान्यता है कि देवता और असुरों के संग्राम के दौरान काल यवन असुर का वध करने में मुचकंद ऋषि ने देवताओं का सहयोग किया था। इससे प्रसन्न होकर मां वज्र वाराही ने मुचकंद ऋषि को दर्शन देने का वचन दिया था। इस वचन को निभाने के लिए हर साल बगवाल के दूसरे दिन मुचकन ऋषि के आश्रम तक शोभायात्रा निकाली जाती है। शोभायात्रा में 4 खाम, 7 थोक के मुखिया और प्रतिनिधि व मंदिर कमेटी अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, पूर्व अध्यक्ष खीम सिंह लमगड़िया, हर सिंह मेहरा, प्रकाश सिंह मेहरा, सुरेश मेहरा,ध्यान सिंह, भुवन सिंह, योगेश सिंह, दिलीप सिंह, नैन सिंह, सुरेश सिंह, महेश सिंह, ललित सिंह, पूरन सिंह, इंद्र सिंह,आदि शामिल थे।