स्मृति शेष…1971 के योद्धा कैप्टन शेर गिरी नहीं रहे

80 साल की उम्र में 10 अगस्त को ली अंतिम सांस
पाकिस्तान से हुई 1971 की जंग में बना था नया देश बांग्लादेश
देवभूमि टुडे
चंपावत/लोहाघाट। 1971 की जंग के योद्धा नहीं रहे। लोहाघाट के पास पाटन गांव प्रेमनगर निवासी कैप्टन शेर गिरी ने 80 वर्ष की उम्र में 10 अगस्त की सुबह अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनकी पार्थिव देह को रामेश्वर में समाधि दी गई। उनके पुत्र कैलाश गिरी और सुंदर गिरी ने समाधिस्थ किया। देहांत पर तमाम लोगों ने शोक जताया है।
कैप्टन शेर गिरी ने पाकिस्तान से हुई 1971 की जंग में उन्होंने बहादुरी से मोर्चा लिया था। इस युद्ध के नतीजे के रूप में पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए थे और बांग्लादेश का जन्म हुआ था। फौज में अदम्य साहस दिखाने वाले कैप्टन गिरी ने फौजी जिंदगी पूरी करने के बाद सामाजिक योगदान में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। निधन पर लोहाघाट के विधायक खुशाल सिंह अधिकारी, पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल, कैप्टन पीएस देव, कैप्टन राजेंद्र सिंह देव, कैप्टन चंद्रबल्लभ बिष्ट, हरीश अधिकारी, गणेश चौथिया, भूपेश देव, हयात सिंह, मोहन पाटनी, कैलाश अधिकारी, ईश्वर नाथ, कल्याण नाथ, रिंकू अधिकारी, दिनेश नाथ, अमर नाथ, पुष्कर नाथ, त्रिलोक गिरी, मोहन जोशी आदि ने शोक जताया है।

कैप्टन शेर गिरी। (फाइल फोटो)
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