न्यायिक मजिस्ट्रेट ने वादी के प्रार्थनापत्र को मंजूर किया,
विवाहिता ने 25 हजार रुपये दिलाने को दिया था प्रार्थनापत्र
देवभूमि टुडे
चंपावत। पत्नी और नाबालिग बेटे की परवरिश के लिए निजी सेक्टर में कार्यरत पति को प्रतिमाह 6 हजार रुपये भरण-पोषण देना होगा। पारिवारिक भरण पोषण मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट जहां आरा अंसारी की कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया। वादी की ओर से 25 हजार रुपये भरण-पोषण की मांग की थी।
चंपावत की एक महिला ने जुलाई 2023 में कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर कहा कि योगेश भट्ट से मई 2021 में विवाह हुआ था। शादी के बाद से ही ससुराली दहेज के लिए प्रताडि़त करने लगे। बेटे के जन्म के बाद भी उसका शारीरिक, मानसिक उत्पीडऩ जारी रहा। बाद में पिता के समझाने पर ससुराल में अलग कमरा दिया गया। तब से पति ने साथ रहना और भोजन करना बंद कर दिया। विवाद बढ़ा, तो 15 जून 2023 को वह अपने मायके ग्राम दुबगड़ी नघान चली गईं। पीडि़ता ने कहा कि उसके माता-पिता वृद्ध और गरीब हैं। पति साधन संपन्न है। कंपनी में 45 हजार रुपये की नौकरी करने के साथ किराये से आय होती है। ससुर को पेंशन मिलने का भी हवाला दिया। ऐसे में उसे 25 हजार रुपये भरण-पोषण के तौर पर दिलाए जाएं। हालांकि 45 हजार की आय को वादी पक्ष कोर्ट में सिद्ध नहीं कर सका। विपक्षी ने कहा कि वे चार भाई हैं। दो की अभी शादी नहीं हुई है। पत्नी संपत्ति में बंटवारा मांगते हुए कलह करती है। दोनों पक्षों को सुनने व साक्ष्यों को देखते हुए न्यायालय ने छह हजार रुपये भरण-पोषण का निर्णय सुनाया। वादी की ओर से रितु सिंह ने पैरवी की।