बच्चों को हाथ पकड़ कर चलाएं…रात का समय है और अंधेरा भी

तीर्थयात्रियों को ध्वनि विस्तारक यंत्र से एहतियात बरतने की पुलिस दे रही नसीहत
अंधेरे में खतरों के बीच आवाजाही कर रहे पूर्णागिरि के श्रद्धालु
सरकारी मेलावधि बीतने के बाद व्यवस्था हटने से उपजी नौबत
देवभूमि टुडे
चंपावत/पूर्णागिरि धाम। बच्चों को हाथ पकड़ कर चलाएं। रात्रि का समय है और अंधेरा है। पूर्णागिरि मेलावधि समाप्त हो चुकी है। सभी लोग झुंड में चलेंगे। पर्वतीय क्षेत्र है, जंगल का क्षेत्र है। एक साथ चलेंगे और हाथ पकड़ कर चलेंगे। ये नसीहत अंधेरे में आवाजाही कर रहे श्रद्धालुओं को उनकी हिफाजत के लिए ठुलीगाड़ पुलिस चौकी के प्रभारी हरीश प्रसाद की ओर से दी जा रही है।
मां पूर्णागिरि धाम का सरकारी मेला 15 जून को संपन्न हो गया। और उसके बाद अस्थाई रूप से की गई सरकारी व्यवस्थाओं को भी हटा लिया गया। ककरालीगेट से भैरव मंदिर तक पथ प्रकाश की व्यवस्था हटाई जा चुकी है। इसका सबसे बड़ा नुकसान ठुलीगाड़ से भैरव मंदिर तक 7 किलोमीटर की सड़क पर पैदल आवाजाही कर रहे श्रद्धालुओं को हो रहा है। उन्हें अंधेरे के बीच आना-जाना पड़ रहा है। अंधेरे में पहाड़ के इन रास्तों से गुजरना जोखिमभरा है। अलबत्ता पुलिस गश्त कर जरूर तीर्थयात्रियों से एहतियात बरतने की अपील कर रही है।
वहीं भैरव मंदिर से पौने चार किलोमीटर दूर मुख्य मंदिर तक बिजली व्यवस्था मंदिर समिति और व्यापारियों की ओर से की गई है। मौसम के मद्देनजर मंदिर समिति ने 24 जून से रात 8 बजे बाद श्रद्धालुओं की रात में दर्शन पर भी रोक लगाने का निर्णय लिया है।

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