संस्कृति व सरोकार के समागम से समाज को संजीदा बना रहे भगवत प्रसाद पांडेय
देवभूमि टुडे
चंपावत। भारतीय संस्कृति, सभ्यता और धर्मिक आस्था की मुख्य विरासत गंगा नदी के धरती पर अवतरण के पर्व गंगा दशहरा पर्व को 16 जून यानी ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जा रहा है। आस्थावान लोग गंगा नदी और अन्य नदियों, सरोवरों में स्नान दान कर दश पापों को हरने की प्रार्थना करते हैं। घरों के मुख्य द्वार पर गंगाद्वार पत्र लगाया गया। इन सबके बीच गंगा दशहरा पर्व को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की पहल भी चंपावत जिले में की जा रही है। इसकी पहल कर रहे हैं पर्यावरण के प्रति संजीदा, साहित्य के जरिए सरोकारों को उठाने वाले कलक्ट्रेट के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी भगवत प्रसाद पांडेय।
इस वर्ष दावाग्रि काल में जंगलों पर बरपे कहर को देखते हुए उन्होंने लोगों को जंगल की आग से बचाव के लिए गंगाद्वार पत्र से प्रेरित कर रहे हैं। जंगल पर खतरा दरसल इंसान और इंसानी अस्तित्व पर खतरा है। इस खतरे को भांपते हुए उन्होंने मानवीय लापरवाही, शरारत अथवा किन्हीं अन्य वजहों से जंगलों को होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए जन सामान्य को प्रेरित किया है। दशहरा पत्र में गणपति के अलावा स्लोगन और जंगल की तस्वीर के जरिए लोगों का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया गया है। पेड़ों से वन, वन से जल और जल से जीवन की थीम का स्मरण कराते हुए जंगलों को आग से बचाने की अपील की गई है।
क्षेत्र के लोगों ने उनकी इस पहल को जागरूकता बढ़ाने वाला बताते हुए कहा कि अपनी माटी, अपनी संस्कृति से दूर दूसरे प्रदेश या देश से बाहर रहने वालों को अपनी जड़ों से जोडऩे में मददगार है। इससे पूर्व भी साहित्याकार पांडेय सम सामयिक मुद्दों को प्रखरता से आगे बढ़ाते रहे हैं। 2020 व 21 में कोरोना काल में मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, टीकाकरण को लेकर लोगों में चेतना फैलाने का काम किया। ग्लोबल वार्मिंग से लेकर मतदान की महत्ता जैसे विषयों को आवाज दी है।
चंपावत जिले में ही इस सााल 15 फरवरी से शुरू दावाग्रि काल में चार माह की अवधि में जंगल में आग की 70 से अधिक घटनाओं में 73.54 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जंगल के साथ ही पानी का संकट भी बढ़ा है। और मौसम तो खैर इम्तिहान ले ही रहा है। जिले के पहाड़ी क्षेत्र का पारा इन दिनों 33 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।