राम मंदिर जाने के लिए 3 दशक बाद हटाए गए आंशिक यातायात प्रतिबंध

1992 के बाद से लगाए गए थे कड़े प्रतिबंध

अयोध्या। रामनगरी में लंबे समय से कदम दर कदम जकड़ी यातायात प्रतिबंध की बेड़ियां अब काफी हद तक हटा दी गई हैं। प्रशासन और पुलिस ने कई तरह की सुरक्षा बंदिशों में रियायत दी है। टेढ़ी बाजार चौराहे से बैरियर हटा दिए गए। यहां से राम जन्मभूमि पथ के पास श्रीराम अस्पताल तक चार पहिया वाहनों को प्रवेश मिलने लगा है। रामघाट चौराहे पर भी अब वाहनों को नहीं रोका जाएगा।
अयोध्या में प्रमुख पर्वों के अलावा वीकेंड (शनिवार व रविवार) को श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक होती है। इस दौरान यातायात प्रतिबंधों से स्थानीय लोगों के साथ देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं को फजीहत झेलनी पड़ रही थी। राम की नगरी में रहने वालों को तो सामान्य दिनों में भी सुरक्षा कारणों से तमाम दिक्कतें झेलनी पड़ती थी। 15 जून से इसमें काफी राहत दे दी गई है।
यातायात प्रतिबंधों में ढील दिए जाने से सबसे ज्यादा राहत रामकोट के वासियों को मिली है। पहले टेढ़ी बाजार बैरियर व गोकुल भवन बैरियर पार कर वही वाहन जाते थे, जिन्हें विशेष अनुमति होती थी या फिर जिनके पास यलो जोन का पास हो। अब टेढ़ी बाजार से चार पहिया वाहन सीधे कटरा, अशर्फी भवन होते हुए रामपथ पर पहुंच सकते हैं।
अलबत्ता उनवल बैरियर से रामजन्मभूमि की ओर चार पहिया वाहनों का प्रवेश अभी भी प्रतिबंधित है। इस जगहा से वे ही वाहन जा सकेंगे, जिनको कंट्रोल रूम से जाने की अनुमति दी गई होगी। रामघाट चौराहे से भी चार पहिया वाहनों का प्रवेश अभी तक प्रतिबंधित रहता था, लेकिन शनिवार से यहां सुगम आवाजाही शुरू हो गई है। एसपी सिटी मधुबन सिंह के मुताबिक श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को सुविधा के लिए प्रतिबंधों में कुछ ढील दी गई है। सुरक्षा मानकों के अनुसार चेकिंग और चौकसी पहले की तरह ही रहेगी। इसके चलते श्रद्धालुओं लेकिन शनिवार को यहां बैरियर हटा दिए गए। रोकटोक भी खत्म हो गई। इसके चलते श्रद्धालुओं के साथ स्थानीय नागरिकों का आवागमन अयोध्या धाम में पहले की तुलना में काफी सुगम हो गया है।
6 दिसंबर 1992 में विवादित ढांचे के ढहने के बाद रामकोट में प्रतिबंध बढ़ा दिए गए थे। इसके बाद 1993 में अयोध्या एक्ट बनाया गया, जिसके बाद प्रतिबंधों में और इजाफा हो गया। 5 जुलाई 2005 को राम जन्मभूमि पर हुए आतंकी हमले के बाद रामकोट को सुरक्षा प्रतिबंधों में जकड़ दिया गया। स्थानीय लोगों के लिए यलो जोन के पास बनाए गए। स्थानीय निवासियों को असुविधा झेलनी पड़ती थी। प्रतिबंधों की बेड़ियां यूं ही नहीं खोली गई हैं। चर्चा है कि लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट के नतीजे के बाद शासन-प्रशासन की आंखें खुली। इसके बाद रामनगरी के साधु-संतों ने प्रतिक्रिया भी दी थी। संतों ने भाजपा की हार का एक कारण अयोध्या में बेवजह के यातायात प्रतिबंधों को भी बताया था। महंत अवधेश दास कहते हैं कि रणनीतियां बनाने में शासन व प्रशासन से चूक हो गई। जो काम अब प्रशासन कर रहा है, वहीं पहले कर दिए होते तो आज शर्मिंदा न होना पड़ता। अबकी रामनवमी मेले में इस कदर प्रतिबंध लागू कर दिए गए थे कि श्रद्धालुओं की संख्या बहुत कम रही। भक्त अपने गुरु आश्रमों व मठ-मंदिरों तक पहुंच ही नहीं पाए। सीमाओं पर ही वाहनों को रोक दिया जाता था। साधु-संतों के साथ अयोध्या का हर एक नागरिक और यहां आने वाले श्रद्धालु इन प्रतिबंधों से परेशान थे।
प्रशासन का यह अच्छा निर्णय है। आए दिन प्रवेश के लिए पुलिस से नोक-झोंक होती थी। गोवंशों के लिए भूसा लाने की गाड़ियां तक नहीं आ पातीं थीं। पुलिस से बात करने पर जांच-पड़ताल के बाद ही वाहनों को प्रवेश मिलता था। –महंत शशिकांत दास।
पिछले कुछ वर्षों से रामकोट वासी कैद से हो गए थे। चार पहिया वाहन लेकर रामकोट में प्रवेश करना मुश्किल था। शादी-विवाह, भंडारा आदि कार्यक्रमों में स्थानीय लोगों को परेशानी होती थी। भक्त मंदिर तक बड़ी मुश्किल से पहुंच पाते थे। महंत जयराम दास।
रामकोट के दुकानदारों को माल तक लाने में परेशानी होती थी। आए दिन सुरक्षाकर्मियों से व्यापारियों की बहस होती थी। सुरक्षा प्रबंधों में ढील का सबसे ज्यादा लाभ व्यापारियों को मिलेगा। पंकज गुप्त, व्यापारी
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद बढ़े प्रतिबंधों ने परेशानी बढ़ा दी थी। स्कूल जाने वाले बच्चे तक परेशानी झेलते थे। टेढी बाजार, रामघाट व नयाघाट से चार पहिया वाहनों को प्रवेश मिलता ही नहीं था। अब प्रतिबंधों में कुछ कमी की गई है। प्रशासन का यह देर से लिया गया अच्छा निर्णय है। डॉ. आनंद उपाध्याय।

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