कुकी उग्रवादियों ने देर रात किया हमला, 8 दिन पहले चुनाव के दौरान हुई थी हिंसा
इंफाल। मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में 26 अप्रैल को उग्रवादियों के हमले में सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) के दो जवान शहीद हो गए। दोनों जवान 128वीं बटालियन के थे। कुकी समुदाय के उग्रवादियों ने देर रात लगभग 12 बजे से लेकर 2:15 बजे तक इन जवानों पर हमला किया। फिलहाल घटना को लेकर और जानकारी नहीं आई है।
बिष्णुपुर जिला इनर मणिपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है। यहां 19 अप्रैल को पहले फेज की वोटिंग के दौरान भी हिंसा हुई थी। जिसमें 3 लोग घायल हुए थे। इसके तीन दिन बाद 22 अप्रैल को राज्य के लुवांगसनोल सेकमाई में कुकी और मैतेई गुट के बीच गोलीबारी हुई थी। इससे पहले मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में 15 फरवरी को हुई हिंसा में भी दो लोगों की मौत हो गई थी। एक पुलिस कॉन्स्टेबल को सस्पेंड करने के विरोध में 300-400 लोगों की भीड़ ने देर रात एसपी और डीसी दफ्तर पर हमला कर दिया था। भीड़ ने एक बस सहित कई गाडिय़ों में आग लगा दी थी। घटना में 40 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। राजधानी इंफाल से 65 किमी दूर चुराचांदपुर कुकी जनजाति बहुल क्षेत्र है। मणिपुर हिंसा में चुराचांदपुर सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक था।
मणिपुर में 3 मई 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर जारी हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। 38 लाख की आबादी वाले मणिपुर में तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी इसाई धर्म मानते हैं और एसटी वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50 प्रतिशत है। राज्य के करीब 10 प्रतिशत इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90 प्रतिशत इलाके में रहते हैं।
मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए। मैतेई समुदाय को आरक्षण देने का नगा-कुकी जनजाति विरोध करती हैं। उनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में एसटी वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 मुख्यमंत्रियों में से दो ही जनजाति से रहे हैं।