47 साल की कानूनी जंग के बाद बुजुर्ग रेलकर्मी को मिला इंसाफ

79 वर्षीय रेलकर्मी को सभी भुगतान तीन माह में करने का हाईकोर्ट ने आदेश दिया

सीनियर रक्षक पद पर तैनात घोष को बिना विभागीय जांच के वर्ष 1976 में कर दिया गया था बर्खास्त

देवभूमि टुडे

प्रयागराज। 79 वर्षीय रेलकर्मी को 47 साल की कानूनी लड़ाई के बाद न्याय मिला है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेलवे के सीनियर रक्षक की सेवा समाप्ति के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। साथ ही सेवा से संबंधित सभी लाभ तीन माह के भीतर देने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन ने पांचू गोपाल घोष की याचिका स्वीकार करते हुए दिया।

पांचू गोपाल घोष रेलवे में सीनियर रक्षक की सेवा पर तैनात थे। बिना विभागीय जांच के वर्ष 1976 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। इस मामले में हाईकोर्ट ने 2010 के आदेश से बर्खास्तगी के आदेश पर रोक लगाते हुए विभागीय जांच कर नए सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया था। जांच कमेटी ने 4 मई 2012 को रिपोर्ट दी और कहा कि मामला 35 साल पुराना है। ऐसे में आरोप साबित करने के लिए दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। विभागीय अधिकारियों ने 1976 के बर्खास्तगी आदेश को साक्ष्य मानते हुए 5 जून 2012 को नए सिरे से बर्खास्त कर दिया। हाईकोर्ट ने इसे कल्पनातीत आदेश करार देते हुए रद्द कर दिया। सेवा जनित सभी लाभ का भुगतान तीन माह के भीतर करने के रेल विभाग को आदेश दिए हैं।

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