15 जून तक 82 दिनों तक चलेगा पूर्णागिरि मेला देवभूमि टुडे
चंपावत /पूर्णागिरि धाम। उत्तर भारत का प्रसिद्ध मां पूर्णागिरि मेला शुरू हो गया। मंगलवार शाम को कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने मेले के प्रवेशद्वार ठुलीगाड़ में पूजा अर्चना कर 15 जून ( 82 दिनी) तक चलने वाले मेले का श्रीगणेश किया। मंत्रोचार पंडित भुवन चंद्र पांडेय ने किया। बाद में आयुक्त दीपक रावत ने पत्नी विजेता सिंह संग देवी मां के दर्शन किए। साथ ही व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया। उन्होने श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक सुविधाएं देने के जिला पंचायत को निर्देश दिए। मेला शुरू होने के साथ ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है।
मंगलवा शाम को ठुलीगाड़ में पंडित भुवन चंद्र पांडेय के संचालन में हुए शुभारंभ कार्यक्रम में मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित किशन तिवारी ने पूर्णागिरि मेले की व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने और श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक सुविधाएं देने के लिए सहयोग देने का प्रशासन से अनुरोध किया। आयुक्त को देवी मां की मूर्ति को स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट किया गया। कार्यक्रम में पूर्णागिरि मंदिर समिति के उपाध्यक्ष नीरज पांडेय, सचिव सुरेश तिवारी और कोषाध्यक्ष नवीन तिवारी, राजू तिवारी, ग्राम प्रधान मनोज पांडे, टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष मदन कुमार, डीएम नवनीत पांडे, एसपी अजय गणपति, मेला मजिस्ट्रेट आकाश जोशी, मेला अधिकारी भगवत पाटनी, तहसीलदार जगदीश गिरी आदि मौजूद थे। आयुक्त ने कहा कि मेले में श्रद्धालुओं को अधिक से अधिक सुविधाएं देने के लगातार प्रयास किए जा रहे है।
मां के जयकारों के बीच 40 हजार श्रद्धालुओं ने किए देवी दर्शन
चंपावत/पूर्णागिरि धाम। पहाड़ में भले ही इस बार दो दिन होली मनी, लेकिन इसका पूर्णागिरि मेले पर कोई असर नहीं पड़ा। देवी मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का उमडऩा सोमवार देर शाम से ही शुरू हो गया। 24 घंटों में 40 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने पूर्णागिरि देवी के दर्शन किए।
भारी भीड़ के मद्देनजर प्रशासन ने व्यापक बंदोबस्त किया है। स्वास्थ्य शिविर से लेकर साफ सफाई और ककरालीगेट से मुख्य मंदिर तक के 21 किमी क्षेत्र में पथ प्रकाश की व्यवस्था की गई है। ठुलीगाड़, भैरव मंदिर और काली मंदिर में खोया-पाया केंद्र बनाया गया है। लेकिन इन व्यवस्थाओं के बीच पहले दिन व्यवस्थाओं में कई कमियां भी नजर आईं। वहीं रानीघाट, हनुमानचट्टी और आसपास शॉर्टकट वाले रास्तों में बैरिकेटिंग नहीं किए जाने से तीर्थयात्री ऐसे जोखिम भरे मार्गों से भी आवाजाही कर रहे हैं। इन जगहों से गुजरने से गिरकर चोटिल होने का अंदेशा रहता है।