बस या बे-बस… ब्रेक फेल होने से हलक में आ गई थी 24 जिंदगियां, चालक की सूझबूझ से बची जान

457 किलोमीटर दूर दिल्ली के लिए भी नहीं है रोडवेज के पास कायदे की बस

सड़क पर दौड़ रहीं अनफिट और मानक पूरा कर चुकी बस

देवभूमि टुडे

चंपावत/लोहाघाट/पिथौरागढ़। अगर चालक गोपाल दत्त ने प्रजेंस ऑफ माइंड न दिखाया होता या ब्रेक फेल बस किसी तरह काबू नहीं हुई होती, तो 24 मुसाफिरों की जिंदगी खतरे में पड़ जाती। यात्री तो बच गए, लेकिन ब्रेक फेल होने की भनक लगने से उनकी जान हलक में आ गई थी। ये वाकया लोहाघाट शहर का है। रोडवेज की पिथौरागढ़ डिपो की बस (यूके 07पीए 2921) शुक्रवार सुबह करीब 5.30 बजे दिल्ली (आनंद विहार स्टेशन) जाने के लिए पिथौरागढ़ से निकली थी। लेकिन 457 किलोमीटर के सफर में अभी मुश्किल से 61 किलोमीटर का सफर ही पूरा हुआ था कि बस का ब्रेक साथ छोड़ गया। 24 यात्री बस में और बस का ब्रेक फेल।

टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर लोहाघाट के पास शराब की दुकान के नजदीक सुबह करीब पौने नौ बजे बस ने दगा दे दिया। ब्रेक फेल बस की भनक से यात्रियों के हाथ पांव फूल गए। तभी चंपावत के ललुवापानी के रहने वाले चालक गोपाल दत्त ने हिम्मत दिखाई। गियर के जरिए किसी तरह बस को सड़क किनारे सुरक्षित रोक दिया। डरे सहमे मुसाफिरों की जान पर जान आई। उन्होंने चालक का साधुवाद किया। रोडवेज के फोरमैन प्रकाश बोठियाल का कहना है कि चालक की ओर से दी गई सूचना से पता चला कि बस का प्रेशर पाइप फटने से ब्रेक फेल हो गया था। जिसे लोहाघाट डिपो से मैकेनिक भेज ठीक कराया गया। एक घंटे की इस कवायद के बाद बस को आगे बढ़ाया गया।

बस अनफिट थी या मानक पूरी कर चुकी?

चंपावत/लोहाघाट/पिथौरागढ़। रोडवेज के पिथौरागढ़ डिपो के हाल भी कम बेढंगे नहीं है। यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ कर रही बस सड़क पर दौड़ रही हैं, लेकिन उनकी न फिटनेस का पता न मानक के मुताबिक चल रही या नहीं, यह पता। लेकिन रोडवेज के सूत्रों का कहना है कि यह बस निर्धारित मानक पूरा कर चुकी थी। नियमों के मुताबिक मैदान में आठ लाख किलोमीटर या आठ वर्ष और पहाड़ में छह साल या छह लाख किमी तक ही बस का संचालन किया जा सकता है। निगम के सावधानी बरतने के दावों के बावजूद ऐसी बस के संचालन में खतरे भी कम नहीं हैं।

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