अंग्रेजों के लिए सिरदर्द बने रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामचंद्र चौड़ाकोटी… 23वीं पुण्य तिथि पर याद किए गए सेनानी रामचंद्र चौड़ाकोटी आजादी के बाद भी सूखीढांग क्षेत्र के विकास के लिए आवाज उठाते रहे सेनानी देवभूमि टूडे चंपावत। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित रामचंद्र चौड़ाकोटी ने आजादी की जंग में अंग्रेजों के लिए मुसीबत बने रहे। अपने शौर्य, बहादुरी और जीवटता से उन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम किया। आजादी की लड़ाई के दस्तावेज बताते हैं कि भारत छोड़ो आंदोलन में सूखीढांग क्षेत्र के पंडित रामचंद्र चौड़ाकोटी को जुर्माने के साथ लंबी जेल काटनी पड़ी। दस जनवरी को 23वीं पुण्य तिथि पर चंपावत और सूखीढांग सेनानी स्मारक में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर नागरिकों ने आजादी की जंग में उनके अविस्मरणीय योगदान का स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया। सेनानी रामचंद्र ने आजादी की जंग के बाद भी संघर्ष नहीं छोड़ा। बस अंतर इतना था कि बाद में उन्होंने विकास के लिए जंग लड़ी। सेनानी के पुत्र और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी कल्याण संगठन के जिलाध्यक्ष महेश चौड़ाकोटी बताते हैं कि वर्ष 1948 में धूरा साधन सहकारी समिति के सभापति, वमनजौल के सरपंच, चंपावत ब्लॉक के ज्येष्ठ उप प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली। दस जनवरी 2001 को आखिरी सांस लेने से पूर्व तक वे लगातार इलाके के विकास की आवाज उठाते रहे। सेनानी रामचंद्र चौड़ाकोटी (फाइल फोटो)

…लेकिन सेनानी चौड़ाकोटी के गांव तक नहीं है सड़क मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीन जून 2023 को सड़क का किया था ऐलान देवभूमि टूडे चंपावत। सूखीढांग क्षेत्र के आमखर्क गांव का ताल्लुक पंडित राम चंद्र चौड़ाकोटी के अलावा तीन (पंडित बेनीराम चौड़ाकोटी, पदमादत्त चौड़ाकोटी और बची सिंह राना) अन्य सेनानियों से है। लेकिन चार सेनानियों के इस गांव के लिए अभी सड़क नहीं है। सड़क नहीं होने से बृजनगर से आमखर्क तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को डेढ़ किमी पैदल जाना पड़ रहा है। तीन जून 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आमखर्क गांव तक सड़क पहुंचाने का ऐलान किया। इस घोषणा के बाद अक्तूबर में शासन ने सड़क के लिए धन मंजूर किया। ग्रामीण निर्माण विभाग ने सड़क का सर्वेक्षण कार्य भी शुरू किया। लेकिन इसके बाद की कार्रवाई में तेजी नहीं आने से सेनानी परिवारों में नाराजगी है। इस गांव के निवासी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी कल्याण संगठन के जिलाध्यक्ष महेश चंद्र चौड़ाकोटी का कहना है कि सड़क के काम में तेजी के साथ सेनानियों के भवनों को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाए।

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