ग्रामीण, वन, पुलिस और दमकल कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर पाया काबू
देवभूमि टुडे
चंपावत/लोहाघाट। चंपावत जिले के नेपाल सीमा से लगे दिगालीचौड़ के सिल्लेख तोक में जंगल की आग ने करीब 300 फलदार और औषधीय पेड़ पौधों को जलाकर खाक कर दिया। इससे काश्तकार को भारी नुकसान पहुंचा है।
मानाढुंगा के ग्राम प्रधान मुकेश रैंसवाल ने बताया कि 6 मई की सुबह एकाएक दिगालीचौड़ में मानाढुंगा के सिल्लेख तोक के जंगलों में आग भड़क गई। तेज हवाओं के साथ आग बेकाबू हो गई और तेजी के साथ आबादी में पहुंच गई। प्रधान ने बताया कि आग से गांव के काश्तकार कृपाल सिंह के खेत में लगे नींबू, माल्टा, संतरा, तेजपात आदि के करीब 300 से अधिक फलदार और औषधीय पेड़ पौधे जलकर राख हो गए। अग्निशमन अधिकारी चंदन राम और वन क्षेत्राधिकारी दीप जोशी के नेतृत्व में दमकल विभाग, वन विभाग और पंचेश्वर कोतवाली पुलिस ने लोगों की मदद से आग पर काबू पाया। जिससे आवासीय भवन जलने से बच गया। आग बुझाने में प्रधान के साथ दीपक रावत, हरीश जोशी, दीपक रैंसवाल, शिवराज सिंह, महेश सिंह, मोहित जोशी आदि थे।
बाराकोट के जंगलों की आग से वन संपदा को भारी नुकसान
चंपावत/लोहाघाट। बाराकोट, लोहाघाट और पाटी में जंगलों की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। दिनोंदिन आग की घटनाएं बढऩे से क्षेत्र में धुंए और धुंध का प्रकोप बढ़ गया हैै। रविवार देर रात बाराकोट विकासखंड के खोलासुनार और राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे के जंगलों में भीषण आग लग गई। जिससे लाखों रुपये मूल्य की वन संपदा खाक होने के साथ वन्य जीवों के आशियानी उजड़ गए। तेजी से आग के आबादी की ओर बढ़ता देख ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। आग की चपेट में आने से बांज, बुरांश, चीड़, फल्याट, भीमल, खटिक आदि के पेड़ और छोटे पौधे राख हो गए। लड़ीधुरा शैक्षिक एंव सांस्कृतिक मंच अध्यक्ष नगेंद्र जोशी ने कहा कि प्रशासन को जंगल की आग से रोकथाम के लिए कड़े नियम बनाने चाहिए। लोहाघाट के एबटमाउंट के जंगलों में आग लगने से लाखों रुपये की वन संपदा जल कर राख हो गई।