जो बोले सो निहल, सत श्री अकाल…जोड़ मेला शुरू

रीठा साहिब में मुख्य मेला कल 10 जून को
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी ने मानवता की भलाई के लिए दिया था प्रेम, सेवा और समर्पण का संदेश
देवभूमि टुडे
चंपावत/रीठा साहिब। जो बोले सो निहल, सत श्री अकाल…के उद्घोष के साथ आज 9 जून से रीठा साहिब का प्रसिद्ध जोड़ मेला शुरू हो गया है। तीन दिनी मेले का सोमवार को पवित्र ग्रंथ साहिब पाठ की लड़ी के बीच पाटी की एसडीएम नीतू डांगर ने रिबन काटकर शुभारंभ किया। मेले के पहले दिन बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों ने गुरु के द्वार शीश नवाया। अखंड पाठ की लड़ी चल रही है।
बाबा सुरेंद्र सिंह, बाबा अजीत पाल सिंह और बाबा कुलदीप सिंह ने कहा कि गुरु नानक देव जी की साधना और चमत्कार ने रीठा साहिब के कड़वे रीठों में मिठास भर मानवता को प्रेम, सेवा और समर्पण का संदेश दिया है। रीठा साहिब की पवित्र धरती देवभूमि की गुरु परंपरा की समृद्ध थाथी है। नानक जी के बताए भलाई के मार्ग पर चलने से समूची मानवता का भला होगा। मेले में तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए प्रशासन ने जरूरी प्रबंध किए हैं। सुरक्षा, सफाई, स्वास्थ्य कैंप से लेकर पेयजल सहित सभी व्यवस्थाएं की गई हैं। रोडवेज की एक अतिरिक्त बस सेवा रीठा साहिब-नानकमत्ता के बीच संचालित की गई है।
बाबा श्याम सिंह ने बताया कि तीन दिनी मेले में मुख्य मेला 10 जून को होगा। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित कई राज्यों से सिख संगत पहुंची है। दिनभर लंगर चल रहा है। चंपावत जिले में पोखरी, खेतीखान, सूखीढांग सहित कई हिस्सों में लंगर लगाए गए हैं। कई जगह चिकित्सा शिविर लगाकर भी सेवा की जा रही है।
रीठा साहिब पधारे थे गुरु नानक जी
चंपावत से 75 किलोमीटर दूर लधिया घाटी का रीठा साहिब क्षेत्र सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की साधना और चमत्कारों का समागम रहा है। वर्ष 1505 में गुरु नानक जी यहां पधारे थे। गुरु जी के आध्यात्मिक चमत्कार के बाद यहां के कड़ुवे रीठे मीठे हो गए थे। कड़ुवे से मीठे बने ये रीठे गुरु नानक जी के आध्यात्मिक चमत्कार और सिद्धि का प्रमाण है। और यही रीठे प्रसाद में गुरुद्वारा आने वाले श्रद्धालुओं को दिए जाते हैं।

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