3 दिन में दूसरी बार टेंडर प्रक्रिया का बहिष्कार किया

शासन द्वारा टेंडर नीति में किए गए बदलाव से नाराज हैं ठेकेदार चंपावत लोनिवि परिसर में राजकीय ठेकेदार ठेकेदार संघ ने किया विरोध
देवभूमि टुडे
चंपावत। नई टेंडर नियमावली से नाराज राजकीय ठेकेदारों ने चंपावत में तीन दिन में दूसरी बार टेंडर प्रक्रिया का बहिष्कार किया। ठेकेदारों ने आज 12 सितंबर को लोक निर्माण विभाग परिसर में नई टेंडर नीति का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया और ककरालीगेट-ठुलीगाड़-भैरव मंदिर मोटर मार्ग में पेंच मरम्मत कार्य के लिए लगे टेंडर की प्रक्रिया का बहिष्कार किया। इससे पूर्व 10 सितंबर को भी एक रोड के टेंडर की प्रक्रिया का बहिष्कार किया गया था। चेतावनी दी कि जब तक टेंडर नीति न्यायसंगत नहीं बनेगी, तब तक ठेेकेदार इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे। नई टेंडर नीति का विरोध सिर्फ चंपावत में हो रहा है। जबकि अन्य खंडों में निविदा प्रक्रिया गतिमान है।
ठेकेदार संगठन के अध्यक्ष मंदीप ढेक के नेतृत्व में टेंडर नीति का विरोध करते हुए लोनिवि परिसर में प्रदर्शन किया गया। कहा कि नई टेंडर नीति स्थानीय छोटे ठेकेदारों के हितों को प्रभावित कर रही है। संघ का कहना है कि राजकीय निर्माण कार्य करवाने वाले विभागों में अनुभव प्रमाण पत्र 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 80 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी तरह पूर्व में लोनिवि के 1.50 करोड़ रुपये तक के रोड के कार्य को बिना अनुभव के आधार पर सिंगल बिड पर कराए जाते थे, लेकिन इसमें अब बदलाव कर दिया गया है। साथ ही तीन वर्ष के टर्नओवर के आधार पर होने वाले टेंडर की समय सीमा भी बढ़ाकर 5 साल कर दी गई है। ठेकेदारों ने 50 लाख तक के कार्य ऑफलाइन निविदा के आधार पर कराने की मांग की। यूनियन के अध्यक्ष मंदीप ढेक के नेतृत्व में विरोध जताने वालों में आन सिंह कुंवर, किशोर खर्कवाल, नंदाबल्लभ कापड़ी, भगवत चौधरी, नाथ सिंह बोहरा,धीरज नेगी, दिनेश जोशी, अनिल बोहरा, बची सिंह महर, नवीन उप्रेती, रितेश तड़ागी, भूपेंद्र नाथ, अशोक तड़ागी आदि ठेकेदार शामिल थे।
वहीं लोनिवि के चंपावत खंड के अधिशासी अभियंता मोहन चंद्र पलड़िया का कहना है कि नई टेंडर नीति में भी डेढ़ करोड़ रुपये तक के काम के लिए अनुभव और टर्नओवर की जरूरत नहीं है। उन्होंने ठेकेदारों से टेंडर प्रक्रिया का बहिष्कार नहीं करने की अपील की है।

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