Digital Arrest से लगाया 2.15 लाख रुपये का चूना

टनकपुर निवासी दरबान सिंह से डिजिटल पेमेंट के जरिए ठगी रकम
शिकायतकर्ता की तहरीर पर अज्ञात आरोपियों पर मुकदमा
देवभूमि टुडे
चंपावत/टनकपुर। टनकपुर का एक व्यक्ति डिजिटल अरेस्ट की चपेट में आया है। डिजिटल अरेस्ट कर डर दिखाकर 2.15 लाख रुपये का चूना लगा दिया। पीड़ित व्यक्ति ने टनकपुर कोतवाली में तहरीर दी है। तहरीर के आधार पर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
टनकपुर के पीलीभीत रोड निवासी दरबान सिंह के मुताबिक उनके मोबाइल नंबर पर एक प्राइवेट कंपनी के नाम से एक व्हाट्सएप मैसेज मिला। मैसेज में उन्हें कंपनी में धन निवेश कर कंपनी का कार्य पूर्ण कर कमीशन के रूप में लाभ प्राप्त करने की बात कही गई थी। इससे संबंधित लिंक, फोटो सहित कुछ ब्योरे आदि उन्हें भेजे गए। जिस पर टेलीग्राम लिंक के माध्यम से उनकी बात होने लगी। शिकायतकर्ता के मुताबिक कंपनी ने टास्क पूरा नहीं होने पर कंपनी के नुकसान की भरपाई के रूप में निर्धारित किस्त की तिगुनी राशि जुर्माने के तौर पर अदा करने को कहा गया। इससे संबंधित फर्जी शपथपत्र टेलीग्राम के माध्यम से भेज उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर डराने धमकाने लगे। दरबान सिंह का कहना है कि बदनामी से बचने के लिए उन्होंने मजबूरन गूगल पे और फोन पे के जरिए मोबाइल नंबर 9719892679 से UPI के पांच ट्रांजिक्शन से 2.15 लाख रुपये का 24 मई को भुगतान किया। दरबान सिंह ने एक जून को कोतवाली में तहरीर देकर इस फर्जी कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और ठगी गई धनराशि वापस दिलाने का आग्रह किया है। टनकपुर पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। साथ ही पुलिस मामले की जांच कर रही है।

ब्लैकमेल का एडवांस तरीका है डिजिटल अरेस्ट:
डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है। डिजिटल अरेस्ट का सीधा मतलब ऐसा है कि कोई ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए नजर रखता है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमका शिकार बनाते हैं। इस दौरान वे लोगों से वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहते हैं और इसी बीच केस को खत्म करने के लिए रुपये भी ट्रांसफर करवाते हैं।
मैसेज या फोन कॉल से होती है डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत:
डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत एक मैसेज या फोन कॉल के साथ होती है। डिजिटल अरेस्ट करने वाले ठग लोगों को फोन कर कहते हैं कि वे पुलिस विभाग, आयकर, कस्टम विभाग से बात कर रहे हैं। पैन और आधार का इस्तेमाल करते हुए तमाम चीजें की खरीदी गई हैं या फिर मनी लॉड्रिंग की गई है। कई बार यह भी दावा किया जाता है कि वे कस्टम विभाग से बोल रहे हैं और आपके नाम से कोई पार्सल आया है, जिसमें ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजें हैं। इसके बाद वे वीडियो कॉल करते हैं और सामने बैठे रहने के लिए कहते हैं। इस दौरान किसी से बात करने, मैसेज करने और मिलने की इजाजत नहीं होती। इस दौरान जमानत के नाम पर लोगों से रुपये भी मांगे जाते हैं। इस तरह लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं और इसे ही डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है।
डिजिटल अरेस्ट से बचने में जानकारी है मददगार:
डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए जानकारी और जागरूकता जरूरी है। इसकी शुरुआत आपके डर के साथ होती है। ऐसे में यदि आपके पास भी इस तरह की धमकी वाले फोन कॉल आते हैं, तो डरें नहीं। ऐसे कॉल आने पर तुरंत पुलिस में शिकायत करें। यदि कोई मैसेज या ई-मेल आता है, तो उसे सबूत के तौर पर पुलिस को दें। यदि किसी कारण आपने कॉल रिसीव कर लिया और आपको वीडियो कॉल पर कोई धमकी देने लगा, तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करें और शिकायत करें।

प्रतीकात्मक फोटो।
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