जाख जिंडी के चमोला गांव के लोगों के लिए मानसूनी आपदा के बाद जल आपदा
13 सितंबर को अतिवृष्टि में टूटी पेयजल लाइन की अब तक नहीं हुई मरम्मत
पानी की बूंद-बूंद को तरसे ग्रामीण, दो किमी दूर से पानी ढोने को मजबूर
देवभूमि टुडे
चंपावत/लोहाघाट। आपदा का एक माह बीत चुका है लेकिन नेपाल सीमा से लगे लोहाघाट ब्लॉक के जाख जिंडी के चमोला गांव के लोगों की टूटी पेयजल योजना की अब भीर मरम्मत नहीं हो सकी है। पेयजल के लिए मचे हाहाकार के बीच यहां के लोग कई बार आवाज उठा चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। नतीजा यह कि गांव के लोग अब भी एक से दो किलोमीटर दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं।
सेनानी उत्तराधिकारी कल्याण समिति के गुमान सिंह प्रथोली, वजीर राम, जोत राम आदि का कहना है कि चमोला पेयजल योजना आपदा में 12 सितंबर को क्षतिग्रस्त हो गई थी। कई बार विभाग को इसकी मरम्मत के लिए आग्रह किया गया, लेकिन अभी तक योजना से पानी नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण रमेश राम, कमला देवी, हीरा देवी, चंद्रशेखर, महा सिंह आदि ने जल्द से क्षतिग्रस्त योजना को ठीक करने की मांग की है।
वहीं जल संस्थान चंपावत खंड के अधिशासी अभियंता विलाल यूनुस का कहना है कि इस क्षतिग्रस्त पेयजल योजना की मरम्मत में अभी चार दिन और लगेंगे। उनका कहना है कि चार किलोमीटर लंबी इस पेयजल योजना में अतिवृष्टि से भारी नुकसान हुआ था। लंबी लाइन होने की वजह से इसमें प्लास्टिक पाइप नहीं टिक पा रहा है। इस कारण अब इसमें जीआई पाइप लगाया जा रहा है। वहीं दशहरे की वजह से श्रमिकों के नहीं मिलने से काम में अड़चन आई। अलबत्ता अब 13 अक्टूबर से काम शुरू कराया जाएगा और 16 अक्टूबर तक काम पूरा कर लिया जाएगा।