भू-कानून और मूल निवास कानून लागू हुए बगैर पूरा नहीं होगा उत्तराखंड का सपना: रावत

उत्तराखंड पहाड़ी आर्मी संगठन की पत्रकार वार्ता
यूसीसी नहीं, लोगों से जुड़े मुद्दे हो सरकार की प्राथमिकता
देवभूमि टुडे
चंपावत। उत्तराखंड पहाड़ी आर्मी संगठन ने भू-कानून और मूल निवास के मुद्दे पर सरकार को घेरा। शनिवार को चंपावत के रजतदीप होटल में हुई पत्रकार वार्ता में संगठन के संस्थापक हरीश रावत ने कहा कि प्रदेश सरकार के लिए भू-कानून और मूल निवास प्राथमिकता होना चाहिए। ताकि प्रदेश के निवासियों और पहाड़ी राज्य को बनाए जाने की मंशा पूरी हो सके।
संगठन ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड प्रदेश की प्राथमिकता नहीं है, बल्कि नौजवानों को रोजगार, किसानों को सहारा, उद्यमिता का विकास और पलायन की रोकथाम के लिए असरकारक कदम उठाया जाना आवश्यक है। इन सबके लिए ये दोनों कानून जरूरी है, लेकिन सरकार ऐसा न कर लोगों को भ्रमित करने के लिए यूसीसी की कवायद कर रही है। मूल निवास की कट ऑफ डेट संवैधानिक प्रावधानों के अनुसर 26 जनवरी 1950 निर्धारित की जाए, स्थाई निवास प्रमाणपत्र जैसी व्यवस्था खत्म की जाए। आंध्र प्रदेश, त्रिपुरा, हिमाचल और मणिपुर की तर्ज पर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर सिर्फ स्थानीय अभ्यर्थियों की भर्ती हो, इसके लिए राज्य सरकार एक संकल्प पत्र तुरंत केंद्र सरकार को भेजे। राज्य में पटवारी, ग्राम पंचायत अधिकारी आदि पदों में स्थानीय भाषाओं की अनिवार्य ता लागू की जाए। संगठन ने कहा कि बाहरी लोगों के दबदबे को कम करने और खेती वाली जमीन को बचाने के लिए भू-कानून लागू किया जाए। संगठन ने कहा देहरादून और हल्द्वानी की कामयाब रैली के बाद इन मुद्दों को लेकर प्रदेश के अन्य जिलों में भी जन जागरण के साथ रैली की जाएगी। पत्रकार वार्ता में संगठन के महामंत्री बृजेश बिष्ट भी मौजूद थे।

error: Content is protected !!