

काशी विश्वनाथ की तर्ज पर बनाया गया है शिवलिंग आवरण
सोमवार को विधि-विधान से हुआ शिवलिंग का श्रृंगार
सावन के पहले सोमवार 18 जुलाई को होगी चंपावत में चंद शानकाल में बने मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना
देवभूमि टुडे
चंपावत। ऐतिहासिक बालेश्वर महादेव मंदिर के शिवलिंग को पीतल के आवरण से ढक दिया गया है। सोमवार को विधि-विधान से मंदिर में पूजा-अर्चना कर आवरण और भगवान भोलेनाथ की मूर्ति स्थापित की गई। बालेश्वर मंदिर समिति की पहल पर हुए इस काम के बाद अब सावन के पहले सोमवार (18 जुलाई) को आवरण में सुरक्षित बालेश्वर की दुबारा विशेष पूजा की जाएगी।
आवरण से शिवलिंग को ढकने के दौरान पंडित बसंत बल्लभ पांडेय ने मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना कराई। मंदिर के महंत पवन गिरी ने गंगा जल, दूध से स्नान कराते हुए घी, शहद, चंदन लेप लगाकर आवरण और मूर्ति स्थापित की। इसके बाद फल, कपड़ा, धतूरा, बेलपत्र, कमल और गुलाब पुष्प शिवलिंग पर चढ़ाया गया। काशी विश्वनाथ की तर्ज पर शिवलिंग आवरण तैयार किया गया है। यह आवरण महाराष्ट्र जलगांव में तैयार किया गया। मंदिर के महंत पवन गिरि ने बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार बालेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन से काशी विश्वनाथ के समान पुण्य मिलता है। बालेश्वर धाम कभी कैलाश मानसरोवर यात्रा का पहला पड़ाव भी रहा है। यहां पूजा-अर्चना के बाद ही तीर्थयात्री आगे बढ़ते थे। यह मंदिर वास्तुशिल्प चमत्कार, क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रमाण है। बालेश्वर मंदिर का निर्माण 1390 में चंद वंश के प्रमुख शासकों में एक गरुड़ ज्ञान चंद ने कराया था। 1420 और 1421 के बीच उदय चंद ने मंदिर पुनर्निर्माण की शुरुसान की। जबकि हरि चंद ने 1423 और 1427 के बीच काम पूरा किया। इस बात का उल्लेख मंदिर से संबंधित ताम्रपत्र और शिलालेख में किया गया है। यहां शिवरात्रि के दिन लगने वाले मेले में न केवल चंपावत जिले, बल्कि देश व राज्य के विभिन्न हिस्सों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं।

