काम का हुआ सम्मान… जंगल बचाने के लिए सरपंच भंडारी हुए सम्मानित

देहरादून में गणतंत्र दिवस पर मिला प्रशस्ति पत्र
13 साल में लगा चुके हैं पांच हजार से ज्यादा पौधे
देवभूमि टुडे
चंपावत। जल, जंगल और जमीन के नारे के बीच जंगल बचाने का जमीन पर काम करने वाले बाजरीकोट के वन पंचायत के सरपंच को इस बार गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया गया। देहरादून में उन्हें हॉफ (प्रमुख वन संरक्षक) अनूप मलिक ने ये सम्मान दिया। वन अपराध नियंत्रण और वनाग्रि सुरक्षा के लिए उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
खाली पड़ी जमीन पर पौधे लगाना, उनकी देखभाल करना और उन्हें बड़ा होता देखना बाजरीकोट के सरपंच के जीवन का ध्येय रहा है। वे पेड़-पौधों की परवरिश परिवार के सदस्य की तरह करते हैं। इसी के चलते उन्होंने बाजरीकोट क्षेत्र के जंगलों को हराभरा कर समूची तस्वीर बदल दी है। पौधों को बचाने का उनका जुनून इस कदर है कि न केवल लोगों को शपथ दिलाते हैं, बल्कि बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर पेड़ों की हिफाजत के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। आठ वर्ग किेलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस वन पंचायत में 2008 से अब तक पांच हजार से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं। पांच साल तक उन्होंने बगैर किसी पद के बाजरीकोट वन पंचायत की देखभाल की। हरे पेड़ों को काटने से रोकने के साथ ही पत्तियों को तोडऩे वालों को ऐसा करने से रोकने की मुहिम चलाई।
धैर्यपूर्वक पेड़ों को बचाने के साथ खाली जगह में नए पौधों को लगाने की उनकी निरंतरता से न केवल वन पंचायत की देखरेख हुई, बल्कि पेयजल स्रोतों के संरक्षण और दावाग्रि से बचाव के लिए दूसरे लोग भी प्रेरित हुए। चंपावत के प्रभागीय वनाधिकारी रमेश चंद्र कांडपाल भी मानते हैं कि भंडारी का पेड़ों के प्रति लगाव न केवल हरियाली को बचाने में मददगार है, बल्कि दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा बन रहा है। पेड़ बचाकर वन संपदा बढ़ाने के काम को सरकार ने भी इनाम दिया। 2011 में वनों को बचाने के काम की कद्र करते हुए वन पंचायत को समृद्ध बनाने और संयुक्त वन प्रबंधन में शानदार काम के लिए राज्य सरकार ने सम्मानित किया। और 2021 के लिए वन क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए प्रमुख वन संरक्षक ने प्रशस्ति पत्र भी मिला।

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