किमतोली जीआईसी में बच्चे ही लगा रहे घंटी, बंद करते हैं स्कूल के कमरे
पढ़ाने के लिए शिक्षकों की कमी से लेकर एक भी चतुर्थ श्रेणी कर्मी न होने का भुगत रहे खामियाजा
देवभूमि टुडे
चंपावत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का ठांठा गांव में शनिवार को रात्रि विश्राम का कार्यक्रम रहा। गांव चलो अभियान के तहत उनके इस कार्यक्रम के जरिए इस ग्रामीण क्षेत्र की समस्याओं को जानने से लेकर लोगों से संवाद हुआ। लेकिन इसी ठांठा गांव से चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित किमतोली गांव के जिस जीआईसी परिसर में सीएम का हेलीपैड लैंड हुआ, उसी शिक्षा के मंदिर की तस्वीर माथे में लकीर लाने वाली है। यहां नौनिहाल ही स्कूल में घंटी लगाते हैं, कमरों का दरवाजा बंद करते हैं। ये वे शौक से नहीं, हालात के चलते कर रहे हें।
जीआईसी में न पढ़ाने वाले पूरे हैं और न प्रधानाचार्य का पद भरा जा सका है। इस वक्त यहां 373 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान और राजनीति विज्ञान के प्रवक्ता नहीं है। एलटी में भी अंग्रेजी के दो के बजाय एक ही शिक्षक है। और अंग्रेजी के यह शिक्षक भी 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। प्रधानाचार्य का प्रभार देख रहे अंग्रेजी के प्रवक्ता विजय जोशी कहते हैं कि शिक्षकों की कमी के साथ अतिरिक्त जिम्मेदारी से कहीं न कहीं पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
लेकिन संकट सिर्फ शिक्षकों की कमी का ही नहीं है, बल्कि इससे आगे का है। कॉलेज में न कोई बाबू है और कोई चतुर्थ कर्मी। बाबू का काम गुरुजन कर रहे हैं। वहीं घंटी बजाने से लेकर स्कूल के कमरों का दरवाजा खोलने और बंद करने से लेकर ऐसे तमाम काम विद्यार्थी और शिक्षकोंं के ही जिम्मे है।
क्या कहते हैं पीटीए अध्यक्ष:
किमतोली जीआईसी में शिक्षक पूरी तन्मयता से जिम्मेदारी निभा रहे हैं। लेकिन प्रवक्ताओं की कमी पढ़ाई पर असर डाल रही है। वहीं मिनिस्टीरियल के दोनों पदों के खाली होने और चतुर्थ श्रेणी का एक भी कर्मी नहीं होने का नुकसान भी पढ़ाई पर पड़ रहा है। इसी तरह कमरों की कमी से भी व्यवस्था बाधित हो रही है।
माधो सिंह अधिकारी,
अध्यक्ष, अभिभावक-शिक्षक संघ, किमतोली।
क्या कहते हैं अधिकारी:
किमतोली ही नहीं, जिले के 80 प्रतिशत से अधिक माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्यों के पद खाली हैं। इन सभी कॉलेज में ये जिम्मेदारी वरिष्ठ प्रवक्ता को दी गई है। शिक्षकों की भी कमी है। खाली पदों की सूचना नियमित रूप से निदेशालय भेजी जाती है। नई नियुक्ति होने पर ही शिक्षकों की तैनाती मुमकिन है। बाबू और चतुर्थ कर्मियों के पदों को उपनल के माध्यम से भरे जाने की कोशिश की जा रही है।
मेहरबान सिंह बिष्ट,
मुख्य शिक्षाधिकारी, चंपावत।